सच्ची आस्था हो तो ऐसी होनी चाहिए की किसी इंसान का भला भी हो जाए और भगवान भी खुश हो जाए। IF THERE IS TRUE FAITH, THEN IT SHOULD BE SUCH THAT A PERSON ALSO GETS WELL AND GOD ALSO BECOMES HAPPY.

 नमस्कार दोस्तों आप सभी  का एक बार फिर स्वागत करता हूं दोस्तों मैं जिस घटना के बारे में बताने जा रहा हूं वह घटना मेरे दोस्त के साथ हुआ दरअसल हुआ यूं की मेरे दोस्त को भक्ति भाव भजन कीर्तन में ज्यादा मजा आता  है और मेरे मित्र हमारे भारत देश में होने वाले सभी धार्मिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं या फिर मैं दूसरी तरीके से आपको बताना चाहूंगा कि मेरा मित्र बड़े ही धार्मिक स्वभाव के हैं दोस्तों आप सब समझ गए होंगे कि मैं क्या कहना चाहता हूं दोस्तों जैसे नवरात्रि का पर्व आता है तो वह 9 दिन तक माता की सेवा करने में लग जाता है शिवरात्रि का पर्व आता है तो वह शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं ऐसे
                                 
ही तमाम धार्मिक पर्व में उसकी आस्था उसकी भक्ति और छलकती है दोस्तों मेरा मित्र   धार्मिक कार्यों में इतना विश्वास करते हैं की  वह भक्ति भाव में बहुत ही ज्यादा लीन हो जाते हैं और धार्मिक पर्व के हिसाब से सभी नियमों को भली-भांति मानते हैं और पालन भी करते हैं एक दिन मैंने अपनी मित्र से पूछा की आप इतनी श्रद्धा भक्ति और पूजा पाठ क्यों करते हैं तब उन्होंने मुझे से कहा की मैं श्रद्धा भक्ति और पूजा पाठ इसलिए करता हूं क्योंकि यह सब करने से मेरे मन को शांति मिलती है इसलिए मैं यह सब सच्चे भाव से करता हूं उनकी यह बात सुनकर मुझे भी धार्मिक कार्यों में धार्मिक पर्व में और ही ज्यादा विश्वास होने लगा कि मेरा मित्र इतने अच्छे से धार्मिक कार्यों के नियमों को मानते हैं मैंने उनसे कहा कि जब आप किसी दिन मंदिर जाओगे तो मुझे भी बुला लेना हम साथ में मंदिर चलेंगे मेरे मित्र ने हां कहा और 3 दिन बाद मुझे कॉल किया की भाई साहब आप चलना चाहेंगे मंदिर मैं आज मंदिर जा रहा हूं मैंने भी उनसे कहा था कि आप बुला लेना तो मैं भी उसके साथ मंदिर जाने के लिए तैयार हो गया जैसे ही हम पैदल जा रहे थे मंदिर की ओर धीरे-धीरे बाते करते हुए जा ही रहे थे कि हमने रास्ते में एक असहाय महिला जिसके गोद में छोटा सा बच्चा  था और वह बच्चा जोर जोर से रो रहा था और बच्चे की रोना मुझसे देखा नहीं गया मैंने अपने मित्र से पूछा कि आप मंदिर में चढ़ाने के लिए क्या-क्या रखें हैं तो मेरे मित्र ने मुझे दिखाया उसने मंदिर में चढ़ाने के लिए दूध पानी और कुछ फल और मिठाइयां रखे थे मैंने उस महिला से पूछा
                                     
कि आप कहां से हैं और आपका बच्चा रो क्यों रहा है तब उन्होंने बताया की मैं पड़ोस वाली गांव में रहती हूं 2 दिन से कुछ नहीं खाया क्योंकि मैं घर से भाग कर आई हूं मेरे पति बहुत ही ज्यादा शराब पीते हैं मुझे मारते हैं तो मैं उनकी इस रवैया से परेशान होकर घर से भा गई हूं और मेरे पास अपने बच्चे को खिलाने के लिए पैसे भी नहीं है मैं क्या करूं  मैं कुछ भी नहीं कर पा रही हूं तब मैंने अपने मित्र से कहा कि भाई साहब आप जो दूध रखे हैं मंदिर में चढ़ाने के लिए और पानी रखे हैं आप पानी को इस माता जी को दे दो और दूध को इनके बच्चों को दे दो और इन्हें भूख भी लगे हैं तो जितने भी फल है वह इस महिला को दे दो क्योंकि मानव सेवा सबसे बड़ी सेवा है तुम मेरे मित्र नहीं मेरी ओर देखते हुए दूध पानी और फल को उस महिला को दे दिए और मुझसे पूछा कि हम मंदिर में अब क्या चढ़ाएंगे तो मैंने कहा की भगवान ने हमें सेवा करने का एक शुभ अवसर दिया है और हमें इस पल को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए क्या हुआ हमने भगवान को दूध और पानी और फल अर्पण नहीं कर पाए लेकिन हमने किसी की तो मदद किए यही हमारे लिए सबसे बड़ी सेवा भाव   है और मैंने अपने मित्र से पूछा की क्या भगवान मंदिर में हम जो फल चढ़ाते है उसे क्या भगवान खाते हैं या हम दूध चढ़ाते हैं क्या उन्हें भगवान पीते हैं हम भगवान की भक्ति नहीं कर रहे हैं क्योंकि दूध मिठाइयां फल  इत्यादि चढ़ाना ही भक्ति नहीं है सच्ची भक्ति तो वह है जब हम किसी जरूरतमंद की सहायता करते हैं तुम मेरे मित्र ने  कहा की अब आज से मैं प्रण करता हूं की जब भी मुझे ऐसा मौका मिले दूसरों की सेवा करने का तो मैं जरूर करूंगा आज मुझे सच्ची सेवा सच्ची भक्ति और सच्ची आस्था का बोध हो गया  मेरे प्यारे मित्रों आप सभी को क्या लगता है कि हमने जो किया वह सही है या गलत यह मैं नहीं जानता लेकिन मुझे जो सही लगा वह मैंने किया

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