सपनों की उड़ान एक ऐसी कहानी जो आपकी सोच बदल देगी। DREAM FLIGHT A STORY THAT WILL CHANGE YOUR MIND.


     हेलो दोस्तों आपको एक स्टोरी सुनाता हूं  रामलाल अपनी पत्नी और  एक बेटे के साथ एक बडे़ शहर में छोटे से किराए के मकान में रहते थे ।रामलाल के पत्नी का नाम सीता और वह गृहणी थी और उनके लड़के का नाम मोहन था। मोहन पढ़ाई में बहुत होशियार था।मोहन क्लास में हमेशा फर्स्ट आता था। रामलाल ऑटो चलाता था और वह सुबह ऑटो लेकर निकलता था और शाम को घर वापस आता था क्योंकि वह बहुत ही मेहनती और ईमानदार था।वह हमेशा लोगों के साथ अच्छे से पेश आता था। वह हमेशा दूसरों की मदद की करने की पूरी कोशिश करते थे। तीनों अपने छोटे से परिवार में बहुत खुश थे। उनके पड़ोसी  वाले भी बहुत मानते थे क्योंकि रामलाल मिलनसार और मृदु स्वभाव के व्यक्ति थे। और उनकी पत्नी सीता भी अपने पड़ोसियों को अपने परिवार की तरह मानतीं थी.। रामलाल ऑटो से जो कमाता था उसी से
                                     

अपना घर चलाता था। रामलाल अपने बेटे मोहन को खूब पढ़ाना चाहता था वह अपने बेटे को एक बड़े अधिकारी बनाना चाहता था और अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वह दिन रात मेहनत करता था ताकि वो अपने बेटे की सारी कमीं को पूरा करके उसके जरूरतों को पूरा कर सके। और मोहन से कहता था कि अच्छे से पढ़ना और देश का नाम रोशन करना बेटा,और मोहन अपने पिता के बातों को ध्यान में रखकर मेहनत करता था ताकि वो अपने पिता के सपनों को पूरा करने में कामयाब हो सके.। सब कुछ ठीक चल रहा था कि वो लोग जिस मोहल्ले में रहते थे वहां का माहौल ही बदल गया था क्योंकि कुछ राजनेता अपने फायदे के लिए लोगों को जाति धर्म के नाम पर एक दूसरे के खिलाफ भड़का के वहाँ के लोगों के बीच अशांति फैला दिया पूरा शहर दंगे की चपेट में आ गया लोगों को धर्म के नाम पर भड़का दिया गया लोग
                                     

आपस में ही एक दूसरे को मारने काटने मे लगे हुए थे और कई लोग मारे गए लोगों के घरों को जला दिया गया छोटे छोटे बच्चे अनाथ हो गए और कई महिलाओं ने अपने पति को खोया कोई अपने भाई को खोया सबका परिवार बिखर चुका था और इस दंगे में घायल हुए लोगों को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया और वहां सभी लोगों का ठीक से इलाज भी नहीं हो रहा था। मोहन भी सरकारी अस्पताल में भर्ती था। मोहन को जैसे ही होश आया तो वह अपने आप को अस्पताल में पाया वह रोने लगा वह अपने माता पिता से मिलना चाहता था। मोहन अस्पताल में ही अपने माता पिता को ढूंढने लगा लाशों के अलावा मोहन को कुछ भी नजर नहीं आ रहा था.। मोहन अपने घर की ओर दौड़े चारो तरफ सन्नाटा छाया हुआ था दंगे में. मरे लोगों को पुलिस पोस्टमार्टम के लिए ले जा रहे थे। फिर भी मोहन लाशों के ढेर में अपने माता पिता को ढूंढ रहा था। मोहन चीख चीख कर अपने. माता पिता को बुला रहा था पर जनाब उस बेचारे मोहन को कौन समझाये की मरे हुए लोग फिर से वापस नहीं आयेंगे.। मोहन समझ गए कि अब मैं अनाथ हो गया हूँ.। मेरे आगे पीछे अब कोई नहीं है। इस हज़ारों लोगों के बीच में मैं अब अकेला हो गया हूं। क्योंकि मोहन समझ चुका था कि अब रोने से क्या होगा क्योंकि मेरे आँसू पोछने वाला भी तो कोई नहीं है। जब भूख लगता था तो माँ अपने हाथों से खाना खिलाती थी। जब नींद आए तो माँ के
                                       

गोदी मे ही सो जाता था और किसी चीज़ की जरूरत होती थी तो पिता से कहने पर एक झटके में ही मिल जाता था। जब माता पिता थे तो पूरी दुनिया अपना लगता था लेकिन माता पिता के साथ नहीं है तो पूरी दुनिया पराये हो गए। दोस्तो मैं यहि मैसेज देना चाहता हूँ कि अगर हमे कोई जाति धर्म के नाम पर किसी दूसरे के खिलाफ भड़काने की कोशिश करे तो किसी के बहकावे मे ना जाकर सूझ बुझ से काम ले। क्योंकि कुछ दरिन्दे अपने फायदे के लिए लोगों को आपस में लड़ाने की कोशिश करते हैं और हम सब लोग बिना कोई कारण के एक दूसरे से लड़ते हैं और अपना ही नुकसान होता है इस कहानी में जैसे मोहन का हुआ वैसे ही कई बेकसूर बच्चों के साथ होता है और बच्चों के भविष्य भी अंधेरे में ही लोगों के भीड़ में ही दबकर रह जाते हैं। दोस्तो आप सभी से दिल से गुजारिश करता हूं कि आप ईन अनाथ बच्चों के लिए जरूर कुछ करना क्योंकि इन्हें ये महसूस होने ना दे की वो अनाथ हैं, हम कुछ ऐसा करे कि उन बच्चों को पूरी दुनिया परिवार नजर आए उन्हें भी एजुकेशन मिल सके वो भी अपने सपनों को जी सके।आपके छोटे से मदद से अपने आप को असहाय और अकेला समझने वाले बच्चें भी अपने सपनों में उड़ान भरने मे कामयाब हो पाएंगे और उन बच्चों को देश का जिम्मेदार नागरिक बनाने में आप लोगों के अहम योगदान होगा।

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