गरीबी में जी कर सफलता पाने वाले महान फुटबॉलर पेले की कहानी आपको आपके जीवन में लक्ष्य बनाना सिखा देगी। THE STORY OF PELE, A GREAT FOOTBALLER WHO LIVES IN POVERTY, WHO WILL TEACH YOU TO SET GOALS IN YOUR LIFE

हेलो दोस्तों जैसे इंडिया में गली गली में क्रिकेट खेला जाता है। ठीक वैसे ही ब्राजील में भी हर छोटे से लेकर बड़े तक सभी लोग फुटबॉल के प्रेमी है ब्राजील के लोगों को फुटबॉल खेलना ज्यादा पसंद है। क्योंकि फुटबॉल ब्राजील की पसंदीदा खेल है। यह कहानी ब्राजील के एक छोटे से शहर में लोगों के जूते पॉलिश करने वाले टीकू नाम की लड़के की कहानी है जिसे बाद में पूरी दुनिया पेले के नाम से जानने लगे, एक दिन टीकू अपने छोटे भाई जुका के साथ जूते पॉलिश का काम करके घर लौट रहा था। फिर रास्ते में टीकू और उसके भाई फुटबॉल खेलने में मदमस्त हो गए और टिकु को पता ही नहीं चला की फुटबॉल खेलते खेलते कब उनके कपड़े गंदे हो गए जब टीकू और उसके भाई घर पहुंचे तो उनके मॉम ने टिकु से पूछा कि कपड़े कैसे गंदे हो गए  तो टिकु अपने मां से झूठ बोलता है की रास्ते में नाली में गिर पड़े थे इसीलिए कपड़े गंदे हो गए हैं। लेकिन टिकु के छोटे भाई जुका अपने मां को सब कुछ सच - सच बता देते हैं और वह बताते हैं की घर आते वक्त हम लोग रास्ते में फुटबॉल  खेल रहे थे इसलिए कपड़े गंदे हो  गए।
 यह बात सुनकर टीकू  की मॉम बहुत ज्यादा गुस्सा हो जाती है  क्योंकि  वह नहीं चाहती है  कि टीकू बड़ा होकर फुटबॉल खेलें, क्योंकि टीकू के पिता भी    एक फुटबॉलर थे। और फुटबॉल खेलतेे- खेलते टीकू के पिता के घुटनेे में चोट लग जाती है और उनका कैरियर  बर्बाद हो जाते हैं  और  टिकु के पिता  और उनके मां   साफ सफाई का काम 
  करने लगते हैं।
टीकू की मां  टीकू को  अच्छे से पढ़ाना चाहती थी ताकि टीकू पढ़ लिख कर अच्छी जगह  जॉब कर सकें। और   जब 1950  में फुटबॉल का वर्ल्ड् कप हुआ.   और जिस दिन ब्राजील का मैच होता उस दिन सभी लोग  अपने  काम धंधे छोड़कर  मैच की  कमेंट्री  रेडियो से  सुर रहे होते हैं  तब टीकू भी  अपने पिता के साथ  मैच की कमेंट्री  सुन रहे होते हैं  और ब्राजील हार जाता है और वर्ल्ड कप से बाहर हो जाते हैं  और ब्राजील के सभी लोग  यह खबर सुनकर  निराश हो जाते हैं  सबके  आंखों में  आंसू  आ जाता है । टीकू और  उसके पिता  भी रोने लगते हैं। टिंकू  अपने पिता रोते देखकर उस से कहता है  की  मैं भी  एक दिन  ब्राजील के लिए  फुटबॉल खेलूंगा और वर्ल्ड कप जीत कर आऊंगा  तब. टिकु के पिता उसको गले सेे लगाता है और टीकूू से कहता है की स्कूल जाओ अच्छे से पढ़ो  और अपनी मां की बात माना करो एक दिन टिकु अपनेे मां के साथ काम पर चला जाता है और टिकु अपनी मां के साथ किचन में फर्श पर पोछा लगा रहा होता है। तभी टिकुु के मां को कोई बुलाता है और टिकु के मां वहां से चली जाती है। टीकू  फर्श पर पोछा करते करते  किचन में  खाने के लिए कुछ ढूंढता है । क्योंकि वह भूखा होता है और वह  ब्रेड का  टुकड़ा उठा कर  खाने लगता है  तभी  वहां  किचन में  कुछ बच्चे  आ जाते हैं  और  वह लोग  फुटबॉल  के किसी  टूर्नामेंट के बारे में  बातें करने लगते हैं। और  अपने साथ  वह लोग पोस्टर भी लाए होते हैं  और सभी बच्चे बड़े-बड़े खिलाड़ियों का नाम लेकर कहतेे हैं की मैं इसकेे जैसा खेलूंगा मैं उसकेे जैसा खेलूंगा तभी टीकू भी कहता है की मैं पेले जैसा खेलूंगा और यह सुनकर सभी बच्चे हंसनेे लगते है और टिकु सेे पूछता की यह पेले कौन है तभी एक बच्चा बोलता है  की  पेले नहीं  पीले हैं , जो वास्कोडिगामा का  गोलकीपर है। इस बेवकूफ को  ठीक से  नाम लेना भी नहीं आता  और  फुटबॉल खेलने चले हैं और ऐसा कहते हुए वो बच्चा फुटबॉल को टीकूू के तरफ मारता है और फुटबॉल बर्तन से जा टकराता है, जिसमें फर्श साफ करने वाला गंदा पानी रहता है और सारा पानी जमीन पर गिर जाती है। तभी टिकुु की माँ वहां पर आ जाती है और सारे बच्चों से माफी मांगते हैं। टिकु अपनी मां को सब कुछ बताना तो चाहता था लेकिन उसके मां उन्हें कुछ भी बोलने से मना कर देते हैं । और  घर आते समय टीकू वहां से  एक पोस्टर  उठा लाता है  जिसमें  उस टूर्नामेंट  की  सारी इनफार्मेशन  होती है। और  वह पोस्टर  सबको दिखाता है  और  अपने मोहल्ले के लड़कों के साथ  टीकू  एक टीम बना लेता है  और  फुटबॉल की तैयारी करने लगता है। तभी टीकू के छोटे भाई जुका टीकू से कहता है  की  अगर मॉम को  यह बात  पता चलेगी  तो  वह बहुत नाराज होगी । तब  टीकू अपने भाई से कहता है  की  हम उन्हें कुछ भी नहीं बताएंगे। और वह लोग  फुटबॉल की  प्रैक्टिस  करने में लग जाते हैं , और  एक बच्चा अपने घर के बेडशीट से सभी के लिए एक जैसा ड्रेस भी बनवा लेता है। और देखते ही देखते टूर्नामेंट में टीकू की टीम  फाइनल में  पहुंच जाती है  सभी बच्चे  बहुत ही ज्यादा खुश होते है। 
 टिकु को लगता है की उनकी टीम के सभी बच्चों के लिए  जूते होते तो कितना अच्छा होता लेकिन उनके पास  पैसे नहीं होते  हैं, और  वो अपने दोस्तों के साथ  मिलकर  कुछ सामान  चुरा कर  ले आते हैं । और  उसे  मार्केट में  बेच देते हैं । और  सभी बच्चों के लिए  कुछ  पुराने  जूते  खरीद लेते हैं , क्योंकि  टिकु के टीम का नाम था शू लेस  और फाइनल में चीकू की टीम जिस टीम के साथ  खेलने वाले होते हैं  वह और  कोई दूसरा टीम नहीं थी , बल्कि  वही लोग थे  जिनके माध्यम से  टीकू को  इस टूर्नामेंट के बारे में  पता चला होता है । तभी अनाउंसमेंट होती है  और  शू लेस  टीम के  कैप्टन का  नाम पेले बोलते है तो  टिकु को बहुत गुस्सा आता है और वो जोर सेे चिल्लाकर कहते हैं  की मेरा नाम टीकू है. मैं पेले नहीं हूँ. लेकिन विरोधी टीम के बच्चे उनका नाम पेले रजिस्टर्ड करवाएं रहते हैं। और दोनों टीमों के बीच मैच शुरू होता है और सभी बच्चे  टिकु को मैच के दौरान पेले पेले कह कर चिढ़ाने लगते हैं। और टिंकू की टीम  अभी तक  एक भी गोल  नहीं किए  रहते हैं  लेकिन  विरोधी टीम  टिकु की टीम से  बहुत ज्यादा  आगे  रहते हैं  फिर  टीकू  अपने  दोस्तों से कहता है  की  सभी लोग  अपना अपना  जूता  निकाल दे  और  बिना जूते  के खेलेंगे क्योंकि वह जानता है कि उन लोगों को जुते पहनकर खेलने की आदत नहीं है और उसके बाद  टीकू  इतना जबरदस्त खेलते हैं  की  टीकू  की टीम  5 गोल  कर डालते हैं , लेकिन  विरोधी टीम  6 गोल  किए रहते हैं। और  समय  समाप्त हो जाता है  और टिकु की टीम  एक गोल से  हार जाते हैं , लेकिन  वहां मौजूद  सारे लोग  टिकु का खेल को देखकर  पेले, पेले कहकर चिल्लाने लगते हैं  अब टिंकू को पेले नाम से कोई बोले तो उसे बहुत अच्छा लगने लगता है क्योंकि लोग उन्हें पेले नाम से  जानने लगे और एक दिन सैंटोस क्लब का एक आदमी टिकू से मिलने आया और उन्हें अपने साथ ले  जाते हैं। अब टिकु सैंटोस क्लब के लिए मैच  खेलने लगते हैं टिकू का हर मैच में परफॉर्मेंस बहुत ही बढ़िया होने के कारण उन्हें  सीधा  प्रो  टीम में शामिल कर लियाा जाता है। और देखतेे ही देखते 1958 के ब्राजील के  टीम में वर्ल्ड कप के लिए उनका सिलेक्शन  हो जाता है  और उस समय  टिकु  यानी  पेले  मात्र  16 साल का  होता है । और प्रैक्टिस मैच के दौरान  उनका  इंजरी हो जाता है तो डॉक्टर ने उन्हें संभलकर खेलनेेे की सलाह देते हैं। और जब वर्ल्ड कप शुरू होता  है तब ब्राज़ील की टीम खेलते खेलते सेमीफाइनल में पहुंच जाता है और उन्हें फ्रांस के खिलाफ  खेलना होता है । टीकू  जिंगा स्टाइल में  बहुत ही अच्छे तरीके से  खेलने लगता है । और  जब  ब्राजील  और  फ्रांस  दोनों टीमें  1-1 गोल  किए रहते हैं  तब  टीकू  लगातार जिंगा स्टाइल में  खेलते हुए  तीन गोल  कर देते हैं । और  फिर  ब्राजील  सेमीफाइनल  में फ्रांस को हराकर  मैच  जीत जाते हैं और  अब ब्राजील को  फाइनल  स्वीडन  के खिलाफ  खेलना होता है तो  जब  फाइनल मैच स्टार्ट होता है  ब्राजील  और  स्वीडन के बीच में  तब  स्वीडन की टीम  मैच में  एक गोल  कर डालते हैं  और  ब्राज़ील की टीम  शून्य पर ही  होता है । फिर  टीकू एक गोल करता है  और अब  ब्राज़ील और स्वीडन  का स्कोर  1-1 से  बराबर होता है  उसके बाद  देखते ही देखते  ब्राज़ील की टीम  चार गोल और कर डालते हैं  और  स्वीडन की टीम  मात्र एक गोल  और कर पाते हैं  और इस तरह से  ब्राजील की कुल गोल  5  और  स्वीडन की कुल गोल दो होती है  इस तरह से  ब्राजील  मैच जीत  जाता है । और  ब्राजील के सारे लोगों के चेहरे पर  1950  के वर्ल्ड कप  का हार  का बदला  साफ नजर आता है। और सभी लोगों के चेहरे में  खुशी  दिखाई देती है । लोगों के  आंखों पर आंसू  जरूर थे, लेकिन  वह  वर्ल्ड कप  जीतने की खुशी के आंसू थे  और  पूरे स्टेडियम  पेले पेले कहकर  चिल्लाने लगते हैं  पूरे स्टेडियम में  पेले का नाम गूंज उठता है और इसके बाद पेले 
 ने सन 1962 और 1970 का वर्ल्ड कप का खिताब ब्राजील को दिलाया पेले ( टीकू) को ब्राजील के सरकार ने सम्मानित किया। दोस्तो जिस तरह से   टीकू अपने जीवन में काफी परेशानी देखा फिर भी अपने आप में  विश्वास करके सफलता के   उच्चतम स्तर पर  नाम  पाया  केवल अपने मेहनत लग्न और आत्मविश्वास के बल पर सफलता के बुलंदियों को  छूने में  कामयाब  हुए पेले सर को दिल से सलाम करता हूँ। 

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