गरीब बच्चों के मसीहा आनंद कुमार ANAND KUMAR की कहानी । STORY OF ANAND KUMAR, THE MASSIAH OF POOR CHILDREN'S

                                     

                               आनंद कुमार 


 आनंद कुमार का प्रारंभिक जीवन गरीबी मे बिता जो उसके वर्तमान जीवन से बिल्कुल अलग है। आनंद कुमार के पिता एक पोस्ट कर्मचारी थे जो बड़ी ही मुस्किल से अपने परिवार का पालन पोषण करता था। आनंद कुमार के पिता ने गरीब होने के बावजूद अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिया। बच्चों के पढ़ाई के वास्ते वो कुछ भी करने को तैयार रहते थे। उनके पिता अपने बच्चों को इतना बेहतर तालीम दिया कि आज पूरी दुनिया में आनंद कुमार ने अपने पिता के सपनों को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज पूरी दुनिया आनंद कुमार को दिल से सलाम करते हैं और उन्हें धन्यवाद देते हैं। भारत देश के माटी पुत्र आनंद कुमार ने अपने टैलेंट के दम पर कठिन परिस्थितियों में गरीब से गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देते हैं। और उन बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा लिया जिन बच्चों के भविष्य गरीबी और भुखमरी के अंधेरे में डूब रहे थे ऐसे बच्चों को रहने के लिए जगह और खाना - पीना के साथ-साथ एक बेहतर शिक्षा दिया और उन लोगों को इस काबिल बना दिया कि आज सारे बच्चें देश विदेश के बड़े बड़े कंपनियों में अच्छे अच्छे पोस्ट पर कार्यरत हैं कूड़े कचरों के बीच झुग्गी झोपड़ी मे रहने वाले उन बच्चों को राजा बना दिया, ऐसे  महान व्यक्ति श्री आनंद कुमार को दिल से सलाम करता हूँ।
आनंद कुमार एक ऐसा नाम है जिससे कुछ ही लोग परिचित होंगे. आनंद कुमार एक गणितग्य होने के साथ-साथ विभिन्न राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर की पत्रिकओं में संपादक भी है. इन सब से अलग इनकी पहचान एक संस्थान “सुपर 30” के संस्थापक के रूप में भी है. यह संस्थान बिहार में इनकें द्वारा सन 2002 में शुरू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य गरीब छात्रो को आईआईटी और जेईई में प्रवेश के लिए तैयारी करवाना है।

आनंद कुमार सुपर 30 | anand kumar super 30
आनंद कुमार के जीवन  से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें.
(Important facts about Anand Kumar)


व्यक्तिगत जानकारी (Personal Information)
# नाम - आनंद कुमार
# व्यवसाय - शिक्षक
# जन्म तारीख -1/1/1973
# जन्म स्थान - पटना, बिहार
#नागरिकता - भारतीय
# रहवासी - पटना
# शिक्षा संस्थान - बिहार नैशनल  कॉलेज पटना विश्वविद्यालय

पारिवारिक जानकारी (Family)

# पिता का व्यवसाय - भारतीय डाक घर में सरकारी कर्मचारी
# माता का नाम - जयंती देवी
# भाई का नाम - प्रणव कुमार
# पत्नी - ऋतू रश्मि
# पुत्र - जगत कुमार

आनंद कुमार का जन्म और शिक्षा  (Birth and Education ):


आनंद कुमार की जन्म 1 जनवरी 1973 में बिहार के पटना में हुआ। आनंद कुमार के शुरूआती जीवन और शिक्षा वर्तमान से बिलकुल अलग है। आनंद कुमार का बचपन बड़े ही मुश्किल परिस्थितियों में गुज़रा। इनके पिता पोस्ट ऑफिस में क्लर्क थे,  आनंद कुमार की शिक्षा पटना के एक सरकारी हिंदी मीडियम स्कूल में संपन्न हुई। इनकी स्कूल का नाम पटना हाई स्कूल था,  शुरू से ही इनका गणित की तरफ रूझान अधिक था और अपने ग्रेजुएशन के समय इन्होने नंबर थ्योरी पर पेपर सबमिट किये थे। जिसे मेथेमेटिकल स्पेक्ट्रम और मेथेमेटिकल गेजेट में प्रकाशित किया गया था। आनंद कुमार के छोटे भाई प्रणव कुमार ने अपने बड़े भाई के सपनों को पूरा करने के लिए अपने माँ के कामों में मदद करते थे। वास्तव में
आनंद कुमार की तरक्की में उनके भाई प्रणव कुमार का भी विशेष योगदान रहा है। वे भी अपने भाई की तरह अपनी माँ के काम में हाथ बटाते थे। अपने माँ के द्वारा बनाए गए पापड़ को आनंद की तरह प्रणव भी पटना की गलियों में पापड़ बेचा करते थे। जहाँ आनंद कुमार अपने इंस्टीट्यूट में बच्चों को शिक्षा देते है, वहीँ दूसरी ओर उस इंस्टीट्यूट को चलाने का काम अर्थात् सारा प्रबंध kका काम प्रणव कुमार देखते है।
                 
                                 

आनंद कुमार का शुरूआती सफ़र (Anand Kumar’s Early Life ):

आनंद कुमार का शुरुआती जीवन बहुत मुश्किल भरा था। आनंद कुमार बचपन से ही पढ़ाई में बहुत होशियार होने के कारण आनंद कुमार हर चीज़ों का सही और सटीक हिसाब निकालना उनके चुटकी का काम था। आनंद कुमार को बचपन से ही गणित में ज्यादा रुचि था। आनंद कुमार बड़े से बड़े सवालों को बड़े ही आराम से हल कर देते थे। और
आनंद कुमार को अपनी प्रतिभा के चलते केंब्रिज विश्विद्यालय में पढ़ने का मौका मिला,लेकिन केंब्रिज जाने के लिए हवाई जहाज के टिकिट के लिए भी पैसे नहीं थे। उस समय आनंद कुमार हर किसी से मदद मांगने की कोशिश की यहां तक कि राज्य सरकार ने भी मदद करने से इन्कार कर दिया अब उनके पास कोई दूसरा रास्ता भी नहीं बचा, और अपने परिवार में वित्तीय संकट के चलते वे कैंब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिला नहीं ले पाये। इसी बीच 3 अगस्त साल 1994 में इनके पिता का निधन हो गया और पारिवारिक स्थिति और कमजोर होने लगी। इस संघर्ष के दौर में उन्हें अपनी पिता की जगह नौकरी करने का मौका मिला, परंतु उन्होनें इसे मना कर दिया । इस समय अपनी परिवार की आजीविका चलाने के लिए उनकी माँ पापड़ बनाती थी और आनंद कुमार और उनके भाई साइकल पर पापड़ बेचते थे। इसी के साथ वे एक्स्ट्रा इनकम के लिए अन्य छात्रो को गणित भी पढ़ाते थे, ताकि खुद का खर्चा निकल सके।उस समय पटना की लाइब्रेरी में फॉरेन की किताबे नहीं होती थी, जिसे वे पढ सके, इसलिए वे 6 घंटे का सफर तय करके बनारस जाते और सप्ताह के अंत के दो दिन शनिवार और रविवार अपने भाई के हॉस्टल रूम में ठहरते थे। और बीएचयू की लाइब्रेरी से इन किताबो को पड़ते थे, और सोमवार सुबह फिर पटना लौट आते थे।


 आनंद कुमार का करियर और सुपर 30 (anand kumar's career and Super 30)

आनंद कुमार का कैंब्रिज जाने का सपना टूटा तो उनके भाई ने आनंद कुमार से कहा कि आप दूसरे बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दीजिए, हो सकता है कि उनमे से एक भी बच्चा आगे बढ़ जाए तो उस बच्चे का लाइफ बन सकता है और वो बहुत आगे जा सकता है आप एक अच्छे टीचर बन सकते हैं। और
साल 1992 से आनंद कुमार ने गणित विषय को अपने प्रोफेशन के रूप में चुना, इसके लिए उन्होंने 500 रुपय महीने का एक रूम किराये पर लिया और खुद का कोचिंग क्लास रामानुज स्कूल ऑफ़ मेथेमेटिक्स की शुरुआत की। पहले इस क्लास में केवल दो विद्यार्थी पढने के लिए आये परंतु अगले 2 वर्षो में इनकी संख्या बढ़कर 36 हो गयी और तीसरे वर्ष में लगभग 500 छात्रों ने इसमे दाखिला लिया। इसके बाद साल 2000 में एक गरीब छात्र उनके पास आया, जो आईआईटी और जेईई (IIT & JEE) की कोचिंग करना चाहता था, परंतु उसके पास ट्यूशन फीस के पैसे नहीं थे। आनंद कुमार ने इस बच्चे को पढ़ाना स्वीकार किया और उसका चयन आईआईटी (IIT) में हो गया। इससे प्रेरित होकर उन्होंने सुपर 30 की शुरुआत की।
                             

सुपर 30 का प्रबंधन (management of super 30) 


साल 2002 के बाद से हर साल मई में इस कोचिंग द्वारा एक इंट्रेंस एग्जाम आयोजित किया जाता है, जिसके द्वारा 30 विद्यार्थियों का चयन किया जाता है. इस टेस्ट में कई विद्यार्थी भाग लेते है जिसमे से ऐसे 30 विद्यार्थियों का चयन किया जाता है, जो की कोचिंग की फीस भरने में असमर्थ हो। इस संस्थान द्वारा इन विद्यार्थियों को ट्यूशन दी जाती है, स्टडी मटेरियल दिया जाता है और साथ ही साथ उनके रहने की भी व्यवस्था की जाती है। यहा पर इन छात्रों को आईआईटी (IIT) के इंट्रेंस एग्जाम के लिए तैयार किया जाता है. इनकी माताजी जयंती देवी इन विद्यार्थियों के लिए खाना बनाती है और इनके भाई प्रणव कुमार यहाँ का मैनेजमेंट संभालते है।

साल 2003 से लेकर 2017 तक कुल 450 विद्यार्थियों में से 391 का चयन आईआईटी में हुआ है। साल 2008 से 2010 तक इस क्लास के प्रत्येक विद्यार्थी का आईआईटी और जेईई (IIT & JEE) में चयन हुआ था। आनंद कुमार को सुपर 30 के संचालन के लिए सरकार या किसी भी प्राइवेट संसथान से कोई सपोर्ट नहीं मिला है। इसका खर्चा वे उनके एक अन्य संसथान रामानुजम इंस्टिट्यूट से निकालते है। सुपर 30 की सफलता के बाद आनंद कुमार को कई स्वदेशी और विदेशी संस्थानों से ऑफर आये इसी के साथ सरकार ने भी उन्हें इसमे वित्तीय मदत के लिए ऑफर किया, परंतु उन्होंने इनमे से किसी को भी स्वीकार नहीं किया।वे सुपर 30 को अपने खुद के प्रयत्नों से चलाना चाहते है।

साल 2008-10 में इस संस्थान ने 30/30 का रिजल्ट दिया और इसके बाद साल 2011 में 30 में से 24, साल 2012 में 27, साल 2013 में 28, साल 2014 में 27, साल 2015 में 25, साल 2016 में 28 और पिछले साल 2017 में पुनः 30 विद्यार्थियों ने आईआईटी और जेईई में प्रवेश लेकर आनंद कुमार के प्रयासों को सफल किया। इस कोचिंग के लिए आनंद कुमार किसी भी तरह का डोनेशन स्वीकार नहीं करते, बल्कि वे इसके लिए पटना में इवनिंग क्लास चलाते है।


आनंद कुमार और उनके संस्थान की पहचान कैसे हुई 

                                     

मार्च 2009 में डिस्कवरी चैनल ने सुपर 30 पर 3 घंटा लम्बा कार्यक्रम दिखाया। इसी  वर्ष अमेरिकी समाचारपत्र द न्यूयॉर्क टाइम्स ने आधे पन्ने पर उनके बारे में दो लेख लिखा।अभिनेत्री व् पूर्व मिस जापान नोरिका फुजिवारा पटना आयीं तथा उन्होंने आनन्द कुमार के कार्यों पर एक लघु फ़िल्म बनायी। उन्हें बीबीसी के कार्यक्रमों में भी स्थान मिला है। उन्होंने अपने अनुभवों के बारे में भारतीय प्रबंध संस्थान, अहमदाबाद, कई आईआईटी, ब्रिटिश कोलम्बिया विश्विद्यालय, टोक्यो विश्वविद्यालय, तथा स्टेनफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में भाषण दे चुके हैं।उनके  आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को निःशुल्क शिक्षा देने के काम के कारण लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी उनका नाम दर्ज हुआ। टाइम पत्रिका ने सुपर 30 को बेस्ट ऑफ़ एशिया 2010 की सूची में भी स्थान दिया। इन्हें 2010 में इंस्टिट्यूट ऑफ़ रीसर्च एण्ड डाॅक्युमेंटेशन इन सोशल साइंसेस द्वारा एस रामानुजन पुरस्कार दिया गया।

सुपर 30 को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के विशेष सिपहसालार राशिद हुसैन ने देश का सर्वश्रेष्ठ संस्थान कहा। न्यूज़वीक पत्रिका ने आनन्द कुमार के कार्यों का संज्ञान लेते हुए उनके संस्थान को चार सर्वाधिक अभिनव संस्थान में स्थान दिया। उन्हें नवम्बर 2010 में बिहार सरकार का सर्वोच्च पुरस्कार "मौलाना अबुल कलाम आज़ाद शिक्षा पुरस्कार" मिला।
                                     

उन्हें जर्मनी के सैक्सोनी प्रान्त के शिक्षा विभाग द्वारा सम्मानित किया गया। आनन्द कुमार को राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द द्वारा "राष्ट्रीय बाल कल्याण पुरस्कार" प्रदान किया गया। कैलिफोर्निया के सैन जोस में ऑर्गनाइजेशन की 25 वीं सालगिरह के मौके पर एक समारोह में 'फाउंडेशन फॉर एक्सीलेंस' (एफएफई) द्वारा आनंद कुमार को 'एजुकेशन एक्सीलेंस अवार्ड 2019' से सम्मानित किया गया।
आज हम अपने आसपास कई ऐसे लोगों को देखते हैं जो अमीर होने का दावा और दिखावा करते हैं लेकिन दिल से बहुत गरीब होते हैं। आनंद कुमार बड़े दिलवाले है जो खुद आर्थिक तंगी से जुझते हुए भी उन गरीब बेसहारा बच्चों को आगे बढ़ाने का जिम्मा लिया। आनंद कुमार आज पूरी दुनिया के लिए मिशाल बन गए हैं। आज अपने कार्यों से करोड़ों लोगों के दिलों में जगह बनाने वाले आनंद कुमार को पूरी दुनिया जानते हैं। आनंद कुमार कहते हैं कि एक शिक्षक, विद्यार्थी के माता पिता के बराबर होते हैं। वे बताते हैं कि एक शिक्षक को कैसे पढ़ाना चाहिए ये सोचना चाहिए और एक विद्यार्थी को कैसे पढ़ना चाहिए इस बारे में सोचना चाहिए। जिंदगी में मेहनत करके सब कुछ हासिल किया जा सकता है। आनंद कुमार कहते हैं कि जितना हो सके आप असहाय और गरीब, जरूरत मंद लोगों की सेवा और सहायता करना चाहिए। हमारा देश पढ़े लिखे लोगों के हाथ में है ना कि किसी राजनेता के हाथ में पढ़े लिखे और देश की सेवा करे। 

Comments