गति और अणु शास्त्र सिद्धांत के प्रवर्तक और खोजकर्ता महर्षि कणाद। INNOVATOR OF MOTION AND MOLECULAR SCIENCE, EXPLORER MAHARISHI KANAD.

                     

भारतीय इतिहास में महर्षि कणाद को परमाणु शास्त्र का जनक माना जाता है। कणाद परमाणु के अवधारणा के पिता माह माने जाते हैं। आधुनिक दौर में अणु वैज्ञानिक जॉन डाल्टन के हज़ारों साल पहले ही महर्षि कणाद ने बताया था कि द्रव्य के atoms होते है। कणाद लिखते हैं कि भौतिक जगत के उत्पत्ति सूक्ष्म अधिसूक्ष्म परमाणु के संग्रहण से होती है। आसान भाषा में कहें तो किसी भी फिजिकल पदार्थ का जन्म छोटे छोटे परमाणु के मिलने से होता है। हालांकि वर्तमान में परमाणु सिद्धांत का जनक जॉन डाल्टन को माना जाता है, लेकिन उससे भी लगभग 900 साल पहले महर्षि कणाद ने वेदों में लिखे सूत्र के आधार पर परमाणु सिद्धांत की खोज की थी। प्रसिद्ध इतिहासकार डी. एन. कोलाबारिक अपने किताब में लिखते हैं कि जब एक समय था जब अणु शास्त्र मे आचार्य कणाद और दूसरे वैज्ञानिक, यूरोपीय वैज्ञानिकों से कहीं ज्यादा आगे थे। आज से 2600 साल पहले ब्रम्हांड का विश्लेषण शास्त्र के रूप में सूत्र बद्ध ढंग से ऋषि कणाद ने अपने वैशेषिक दर्शन में लिखा है। जिसमें कुछ मामलों में वह सिद्धांत आज के विज्ञान से आगे है। इसके अलावा महर्षि कणाद ने न्यूटन से भी पहले गति के तीन नियमों को भी बताये है। आइए उनके नियमों पर नजर डालते हैं....

1)FIRST LAW OF MOTION -
कणाद - वेग निमित्त विशेषात   कर्मणो जायते। 
न्यूटन - THE CHANGE OF MOTION IS DUE TO IMPRESSED FORCE.
2)SECOND LAW OF MOTION -
कणाद - वेग निमित्तापेक्षात कर्मणो जायते
नियत्दिक क्रिया प्रबंध हेतु।
न्यूटन - THE CHANGE OF MOTION IS PROPORTIONAL TO THE MOTIVE FORCE IMPRESSED AND IS MADE IN THE DIRECTION OF THE RIGHT LINE IN WHICH THE FORCE IS IMPRESSED.
3)THE THIRD LAW OF MOTION -
कणाद - वेगः संयोग विशेषाविरोधी।
न्यूटन - TO EVERY ACTION THERE IS ALWAYS AN EQUAL AND OPPOSITE REACTION.
इस प्रकार स्पष्ट है कि गति और परमाणु के बारे में सर्वप्रथम महर्षि कणाद ने बताया था ।हमे गर्व होता है कि भारत के इस महान आचार्य ने दुनिया के सामने उपर्युक्त सिद्धांत को पहले रखा। 

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