किसान सरकार से क्या चाहती है?

हैलो फ्रेंड्स भारत को कृषि प्रधान देश कहते हैं। क्योंकि हमारे देश में अलग अलग मौसम में अलग अलग फसलों की खेती की जाती है। कृषि प्रधान देश कहे जाने वाले हमारे देश में किसानो को अलग नजर से देखते हैं। वो किसान भाई जो दिन रात मेहनत करके फसल उगाते है जिसे हम खाकर के आज जिंदा है। मैं बात कर रहा हूँ उन किसान भाइयों के बारे में जो हमे खाना खिलाते है आज उन्हें कोई सुख सुविधा नहीं मिलती है। सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि उन्हें उनकी मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिलता है। फसल के लिए पानी की समस्या का समाधान का आज तक कोई भी जिक्र नहीं करते हैं पता नहीं कितने किसान भाई खुदकुशी कर ली है इसकी सबसे बड़ी वजह आप और हम है। हम मे से एक भी किसानो को सपोर्ट नहीं करते हैं। जिसके कारण किसान भाई ख़ुदकुशी करने पर मजबूर है। 

                                   
  
                                        
किसानो की समस्या ... 
मैं सोचता हूँ कि जब हमारे देश के किसान जब खुदकुशी करते हैं तो कोई भी किसान को सपोर्ट करने के लिए नहीं आता है। आज महँगाई की समस्या से घिरे हुए किसान भाई कर्ज लेकर खेती के लिए खाद खरीदते हैं और जब किसानो की फसल खराब हो जाती है किसी कारणवश तो सरकार भी पल्ला झाड़ देते है। सरकार को तो कुर्सी से मतलब है ना कि गरीब जनता से , उन किसान भाइयों को मुआवजा भी नहीं मिलता है। और कोई सरकार मुआवजे की घोषणा करते हैं तो वह मुआवजे की राशि सरकारी दफ्तर की फाइलों में ही सिमट कर रह जाती है। आज किसानों के साथ कैसे अनाचार हो रहे हैं अगर एक सरकारी अधिकारी की वेतन और खेतों में काम करने वाले किसानो की आय में तुलना की जाए तो आंकड़ा देखकर ऐसा लगता है कि किसान  की आय वही की  वही अटकी पड़ी है एक सरकारी मुलाजिम को कई भत्ते दिए जाते हैं लेकिन बदले में किसानों को झूठी वादा के अलावा क्या मिलता है। 

सरकारी अधिकारियों की आय vs किसानों की आय ... 
 एक सरकारी अधिकारी को उनके काम के लिए मोटी सैलरी दी जाती है। और गरीब किसान जो कड़ी धूप में भी अपने आप को लहलहाते फसलों को उगाने के लिए समर्पित कर देते हैं। एक सरकारी अधिकारी के बेटे को पढ़ने के लिए अच्छी खासी मोटी रकम दी जाती है और गरीब किसान के बच्चों को क्या मिलता है कुछ नहीं यार। मैं बहुत दुःखी हूं यार कार्यालय में एसी की ठंडी हवा मे मोटी गद्दीदार कुर्सी मे बैठकर काम करने वाले की सैलरी हर साल बढ़ती जा रही है और खराब मौसम में भी बंजर भूमि पर फ़सल उगाने के लिए काम करने वाले किसानो को उनके फसल की उचित कीमत  भी नहीं मिलती है। अरे भाई आप ही लोग बताइए पूरे देश को खाना खिलाने वाले हमारे देश के किसानों को सरकार क्या देती है। किसान अगर खेती करना छोड़ देंगे तो हम क्या खाएंगे आज किसानों की समस्याओं पर कोई भी सरकार एक्शन नहीं ले रही है। कोर्ट में सजा सुनाने वाले जज को अलग से वेतन और कपड़े की सफाई के लिए भी बड़ी रकम दी जाती है और अब आप बताइए क्या किसान कपड़े नहीं पहनते हैं, उनके कपड़े गंदे नहीं होते हैं क्या? ना ही कोई योजना बनाई गई है और ना ही कोई स्वास्थ्य इंश्योरेंस, जैसे कोई भी सुविधा मुहैय्या नहीं करायी जाती है। अच्छी बात यह है कि हमारे देश के सरकारी अधिकारियों को अच्छी सुविधा मिल रही है लेकिन किसानो को भी उनकी जरूरत की चीजे मिलनी चाहिए। 

सरकारों की मनमानी और किसानो के साथ बेइमानी ... 
सत्ता मे कोई भी सरकार आई लेकिन किसानो की डूबती न्यूय्या को नहीं बचा पाया। अगर सरकार कोई योजना भी बनाती है तो योजना का लाभ किसानों को ही नहीं मिल पाता है वो तो सरकारी विभागों की फाइलें में ही दब जाता है। जैसे किसी बच्चे को कुछ लोग मंदिर या चर्च के सामने यूँही छोड़ कर चले जाते हैं क्योंकि छोड़ने वाले को लगता है कि अगर बच्चा अगर जिंदा बच गया तो कैसे भी जी लेगा लेकिन उस बच्चे को किसी की सपोर्ट ही नहीं मिलेगी तो उस बच्चे के भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा, ठीक वैसे ही सरकार भी किसानों को सपोर्ट नहीं करेगी तो किसानों की भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा। जब चुनाव होता है तो सरकार किसानों के पास आती है और जब सत्ता मिल जाती है तो उन्हीं गरीब किसानों को भूल जाते हैं और जब कोई किसान अपनी समस्या लेकर जाते हैं तो उन्हें भगा दिया जाता है।
किसान सरकार से क्या चाहते हैं? 
एक किसान सरकार से क्या चाहते हैं? यही कि उन्हें अपने खेतों में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल जाए और उन्हें अपनी फसलों की किसी कारणवश नुकसान होने पर सरकार द्वारा सहायता मिलनी चाहिए और फसलों की पैदावार की उचित मूल्य मिलना चाहिए। और उनके परिवार के लिए सरकार अच्छी योजना लेकर आए। और सरकार महँगाई को देखते हुए किसानों की आय पर प्रति वर्ष विचार करे ताकि कोई भी किसान खुदकुशी ना करे और उनका परिवार भी खुश रहेगा। किसानों के लिए सरकार योजना बनाती है तो उनका लाभ किसानों को बराबर मिले इसका भी ध्यान रखना चाहिए। और जिस दिन किसानों को खुशी मिलेगी उस दिन हमारा " जय जवान जय किसान" का नारा बोलने में और मजा आएगा। 

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